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NCERT Solutions For Class 12 Hindi Antra (Poem) Chapter 10 Premghan Ki Chaya Smriti - 2025-26

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Premghan Ki Chaya Smriti Class 12 Questions and Answers - Free PDF Download

In NCERT Solutions Class 12 Hindi Antra Chapter 10 Poem, you'll dive into the chapter "Premghan Ki Chaya Smriti", which shares the author's special memories about his father, literary influences, and cultural roots. This chapter helps you understand the powerful role that family, community, and great writers play in shaping a love for Hindi literature.

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The NCERT Solutions by Vedantu explain each question in a very simple way, making it easy for you to understand even tricky concepts. The answers guide you step-by-step, so you can clear all your doubts and prepare for your exams with confidence. You can also download a free PDF of the complete solutions for extra practice and revision at any time.


The solutions are designed to help you improve your Hindi language skills and perform better in your Class 12 CBSE exams. To stay updated with the syllabus, check out the latest Class 12 Hindi CBSE syllabus. If you want more help, visit the Vedantu NCERT Solutions for Class 12 Hindi.


Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Antra Chapter 10 Premghan Ki Chaya Smriti

प्रश्न 1. लेखक शुक्ल जी ने अपने पिता की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर: लेखक ने अपने पिता की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है:

  • पिताजी फारसी भाषा के अच्छे ज्ञाता थे।

  • वे पुरानी हिंदी साहित्य से बहुत प्रेम करते थे।

  • उन्हें फारसी कवियों की उक्तियों को हिंदी कवियों की उक्तियों से मिलाने में आनंद आता था।

  • वे रात के समय 'रामचरितमानस' और 'रामचंद्रिका' को परिवार के सामने बहुत ही रोचक तरीके से पढ़ते थे।

  • उन्हें भारतेंदु जी के नाटक बहुत पसंद थे।

  • वे लेखक की पढ़ाई के लिए घर में आई कुछ पुस्तकों को छिपा देते थे ताकि लेखक का ध्यान स्कूल की पढ़ाई से न हटे।


प्रश्न 2. बचपन में लेखक के मन में भारतेंदु जी के संबंध में कैसी भावना जगी रहती थी ?
उत्तर: बचपन में शुक्ल जी के मन में भारतेंदु जी के प्रति एक विशेष मधुरता की भावना थी। उनकी उम्र उस समय मात्र आठ साल थी, और उनकी बाल बुद्धि 'सत्य हरिश्चंद्र' नाटक के नायक राजा हरिश्चंद्र और कवि हरिश्चंद्र में फर्क नहीं कर पाती थी। उन्हें दोनों ही एक समान लगते थे। इसलिए उनके बारे में सोचकर एक अद्भुत माधुर्य का अनुभव होता था। जब उन्हें पता चला कि मिर्जापुर में भारतेंदु के एक मित्र रहते हैं, तो उनके बारे में जानने की जिज्ञासा बढ़ गई।


प्रश्न 3. उपाध्याय बदरी नारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ की पहली झलक लेखक ने किस प्रकार देखी ?
उत्तर : लेखक मिर्जापुर में नगर के बाहर रहते थे, वहीं उन्हें पता चला कि भारतेन्दु जी के मित्र उपाध्याय बदरी नारायण चौधरी 'प्रेमघन' रहते हैं। डेढ़ मील की यात्रा तय करके सभी बच्चे एक मकान के नीचे पहुँचे और प्रेमघन से मिलने की योजना बनाई। कुछ बच्चे चौधरी साहब के मकान से परिचित थे, उन्हें आगे किया गया। मकान का नीचे का बरामदा खाली था और ऊपर का बरामदा लताओं से ढका हुआ था। लेखक ने ऊपर की ओर देखा और लताओं के बीच एक मूर्ति खड़ी दिखी। यही चौधरी प्रेमघन थे, उनके दोनों कंधों पर बाल बिखरे हुए थे। देखते ही देखते यह मूर्ति दृष्टि से ओझल हो गई। यह बदरी नारायण चौधरी की पहली झलक थी जिसे लेखक ने देखा।


प्रश्न 4. लेखक का हिंदी-साहित्य के प्रति झुकाव किस प्रकार बढ़ता गया?
उत्तर: लेखक के घर में हिंदी का माहौल बचपन से ही था। जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, वैसे-वैसे हिंदी-साहित्य की ओर उसका झुकाव बढ़ता गया। जब वह क्वींस कॉलेज में पढ़ता था, तब उनके पिताजी के सहपाठी स्व. रामकृष्ण वर्मा भी थे। घर में भारत जीवन प्रेस की पुस्तकें आती थीं, लेकिन पिताजी उन्हें छिपा देते थे ताकि लेखक का ध्यान स्कूल की पढ़ाई से न हटे। उन्हीं दिनों पं. केदारनाथ पाठक ने एक हिंदी पुस्तकालय खोला था, जहाँ से लेखक पुस्तकें लाकर पढ़ता था। बाद में लेखक की पाठक जी से अच्छी मित्रता हो गई। 16 वर्ष की उम्र तक पहुँचते-पहुँचते उसे समवयस्क हिंदी-प्रेमियों का एक समूह मिल गया, जिसमें प्रमुख लोग थे—काशी प्रसाद जायसवाल, भगवानदास हालना, पं. बदरीनाथ गौड़, पं. उमाशंकर द्विवेदी आदि। इस समूह में हिंदी के नए-पुराने लेखकों पर चर्चा होती रहती थी, जिससे लेखक का हिंदी-साहित्य के प्रति लगाव बढ़ता चला गया।


प्रश्न 5. ‘निस्संदेह’ शब्द को लेकर लेखक ने किस प्रसंग का जिक्र किया है ?
उत्तर: लेखक और उनके मित्रों की बातचीत अधिकतर हिंदी में लिखने-पढ़ने से संबंधित होती थी और उसमें 'निस्संदेह' शब्द का अक्सर प्रयोग होता था। जिस जगह लेखक रहते थे, वहाँ अधिकतर वकील, मुख्तार, और कचहरी के अफसर उर्दू भाषा का इस्तेमाल करते थे। लेखक-मंडली की हिंदी बोली उनकी उर्दू बोलचाल से कुछ अलग लगती थी, और इसी कारण उन्होंने लेखक और उनके मित्रों को 'निस्संदेह' कहकर पुकारना शुरू कर दिया।


प्रश्न 6. पाठ में कुछ रोचक घटनाओं का उल्लेख है। ऐसी तीन घटनाएँ चुनकर उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
पहली रोचक घटना: मिर्जापुर में एक कवि वामनाचार्य गिरि रहते थे। एक दिन वे सड़क पर चलते हुए चौधरी साहब पर एक कविता बना रहे थे। जब कविता का अंतिम चरण रह गया था, तभी उन्होंने देखा कि चौधरी साहब बाल बिखराए हुए बरामदे में खंभे के सहारे खड़े हैं। वामन जी ने अपनी कविता को पूरा करते हुए कहा, "खंभा टेक खड़ी जैसे नारि मुगलाने की," जिससे उन्होंने चौधरी साहब को मुगल-रानी के समान बताया।


दूसरी रोचक घटना: एक बार चौधरी साहब के एक पड़ोसी उनके यहाँ पहुँचे और उनसे पूछा, "साहब, एक शब्द 'घनचक्कर' का अर्थ समझ नहीं आता। इसके लक्षण क्या हैं?" पड़ोसी महाशय ने मजाक में कहा, "रात को सोने से पहले जो-जो काम दिनभर किए हों, सब कागज पर लिख लें और फिर सुबह पढ़ें।" इसका तात्पर्य था कि कोई भी व्यक्ति जो इस तरह सोचता है, वह 'घनचक्कर' कहलाता है।


तीसरी रोचक घटना: गर्मी के दिनों में छत पर कई लोग चौधरी साहब के साथ बैठे थे। उनके पास एक लैम्प जल रहा था, और उसकी बत्ती जलते-जलते तेज होने लगी। चौधरी साहब इसे बुझाने के लिए नौकर को आवाज देने लगे। लेखक ने बत्ती नीचे करने की सोची, लेकिन पं. बदरीनारायण ने उन्हें रोक दिया। चौधरी साहब कहते रहे, "जब फूट जाए तब आओ," और अंत में चिमनी टूट गई, लेकिन चौधरी साहब ने खुद बत्ती बुझाने की कोशिश नहीं की।


प्रश्न 7. “इस पुरातत्त्व की दृष्टि से प्रेम और कुतूल का अद्भुत मिश्रण रहता था।” यह कथन किसके संदर्भ में कहा गया है और क्यों ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: यह कथन बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन के संदर्भ में कहा गया है। लेखक का उनसे अच्छा परिचय हो गया था और अब वह उनके यहाँ एक लेखक के रूप में जाता था। लेखक और उसकी मित्र-मंडली उन्हें एक पुरानी और महत्त्वपूर्ण शख्सियत मानती थी। उनमें प्रेम और कौतूहल का अद्भुत मिश्रण था, जिसने लेखक और उसके मित्रों को उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक बना दिया था।


प्रश्न 8. प्रस्तुत संस्मरण में लेखक ने चौधरी साहब के व्यक्तित्व के किन-किन पहलुओं को उजागर किया है ?
उत्तर: लेखक ने चौधरी साहब के व्यक्तित्व के निम्नलिखित पहलुओं को उजागर किया है:

  • आकर्षक व्यक्तित्व: चौधरी साहब का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक था। उनके बाल कंधों पर बिखरे रहते थे और वे एक भव्य मूर्ति की तरह दिखते थे, इसलिए वामनाचार्य जी ने उन्हें 'मुगलानी नारी' कहा था।

  • रईसी प्रवृत्ति: चौधरी साहब की हर अदा से रियासत और शान-शौकत झलकती थी। जब वे टहलते थे, तो एक छोटा लड़का पान की तश्तरी लेकर उनके पीछे चलता था।

  • उत्सव प्रेमी: चौधरी साहब के यहाँ वसंत पंचमी, होली जैसे अवसरों पर नाच-रंग और उत्सव हुआ करते थे।

  • वचन-वक्रता: चौधरी साहब बातों की काट-छाँट में माहिर थे। उनकी बातें अनोखी होती थीं और नौकरों के साथ संवाद भी सुनने लायक होता था।

  • प्रसिद्ध कवि: चौधरी साहब एक प्रसिद्ध कवि थे। उनका पूरा नाम उपाध्याय बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' था और उनके घर पर साहित्यकारों का जमावड़ा लगा रहता था।


प्रश्न 9. समवयस्क हिंदी-प्रेमियों की मंडली में कौन-कौन से लेखक मुख्य थे ?
उत्तर: लेखक की समवयस्क हिंदी-प्रेमियों की मंडली में निम्नलिखित लेखक प्रमुख थे:

  • काशीप्रसाद जायसवाल

  • बा. भगवानदास हालना

  • पं. बदरीनाथ गौड़

  • पं. उमाशंकर द्विवेदी


प्रश्न 10. ‘भारतेंदु जी के मकान के नीचे का यह हृदय-परिचय बहुत शीघ्र गहरी मैत्री में परिणत हो गया।’कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: लेखक एक बार एक बारात में काशी गए थे। वहाँ घूमते हुए उन्हें पं. केदारनाथ पाठक दिखाई पड़े। लेखक अक्सर उनके पुस्तकालय में जाया करते थे, इसलिए पाठक जी ने लेखक को देखते ही उन्हें रोक लिया और दोनों में वहीं पर बातचीत शुरू हो गई। बातचीत के दौरान लेखक को पता चला कि पाठक जी जिस मकान से निकले थे, वह भारतेंदु जी का घर था। लेखक उस मकान को देखकर भावनाओं में लीन हो गया और बड़े कुतूहल से उसे देखता रहा। पाठक जी लेखक की भावुकता देखकर प्रसन्न हुए। इस प्रकार भारतेंदु जी के मकान के नीचे हुआ यह हृदय-परिचय जल्द ही गहरी मित्रता में बदल गया और वे दोनों गहरे मित्र बन गए।


भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1. हिंदी-उर्दू के विषय में लेखक के विचारों को देखिए। आप दोनों को एक ही भाषा की दो शैलियाँ मानते हैं या भिन्न भाषाएँ ?
उत्तर: लेखक हिंदी और उर्दू, दोनों भाषाओं के शब्दों का उपयोग करते हैं। उस समय का काल परिवर्तन का था, और गद्य में खड़ी बोली का चलन शुरू हो रहा था, इसलिए उस समय के लेखक हिंदी और उर्दू के शब्दों का समान रूप से प्रयोग करते थे। हम हिंदी और उर्दू को अलग-अलग भाषाएँ मानते हैं। ये दोनों हिंदुस्तानी की दो शैलियाँ हो सकती हैं, लेकिन हिंदी और उर्दू में स्पष्ट अंतर है और इसलिए ये अलग-अलग भाषाएँ हैं।


प्रश्न 2. चौधरी जी के व्यक्तित्व को बताने के लिए पाठ में कुछ मजेदार वाक्य आए हैं-उन्हें छाँटकर उनका संदर्भ लिखिए।
उत्तर: कुछ मजेदार वाक्य और उनका संदर्भ:

  • ‘दोनों कंधों पर बाल बिखरे हुए थे’: इस वाक्य से पता चलता है कि चौधरी साहब को लंबे बाल रखने का शौक था।

  • ‘जो बातें उनके मुँह से निकलती थीं उनमें एक विलक्षण वक्रता रहती थी’: इस वाक्य से यह ज्ञात होता है कि चौधरी साहब बातचीत करने में बेहद माहिर थे और उनकी बातों में एक खास तरह की चतुराई थी।

  • ‘अरे जब फूट जाई तबै चलत आवत’: इस वाक्य से यह पता चलता है कि चौधरी साहब अपनी घरेलू बातचीत में स्थानीय (देशज) भाषा का प्रयोग करते थे।


प्रश्न 3. पाठ की शैली की रोचकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: "प्रेमघन की छाया-स्मृति" पाठ की शैली काफी रोचक है। सामान्य रूप से शुक्ल जी की शैली को जटिल माना जाता है, लेकिन यह पाठ इस धारणा से अलग है। इस पाठ में लेखक ने रोचक शैली का अनुसरण किया है। पाठ में वर्णित घटनाएँ बेहद आकर्षक तरीके से प्रस्तुत की गई हैं। प्रेमघन जी की जो बातें बताई गई हैं वे स्थानीय भाषा में होने के कारण और भी मजेदार लगती हैं। लेखक अपने बारे में भी दिलचस्प ढंग से बताता है। इसमें कुछ जगहों पर हास्यपूर्ण प्रसंगों का भी समावेश किया गया है, जो इसे और अधिक रोचक बनाता है।


योग्यता विस्तार –

1. भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखकों के नाम और उनकी प्रमुख रचनाओं की सूची बनाकर स्पष्ट कीजिए कि आधुनिक हिंदी गद्य के विकास में इन लेखकों का क्या योगदान रहा?

भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखक और उनकी प्रमुख रचनाएँ :

उत्तर: भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखक और उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं:

  • बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन – प्रेमघन सर्वस्व

  • बालमुकुंद गुप्त – देश प्रेम

  • प्रतापनारायण मिश्र – प्रेम पुष्पावली, मन की लहर

  • राधाचरण गोस्वामी – नवभक्तमाल

  • राधाकृष्ण दास – देशदशा

  • भारतेंदु हरिश्चंद्र – प्रेम मालिका, प्रेमसरोवर


भारतेंदु युग (1850-1900) में हिंदी निबंध लेखन को नई दिशा देने का श्रेय भारतेंदु हरिश्चंद्र और उनके समकालीन लेखकों को जाता है। इस युग में बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, और बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' जैसे लेखक महत्वपूर्ण थे। बालकृष्ण भट्ट ने मेला-ठेला, वकील जैसे वर्णनात्मक निबंध लिखे, और उनके हास्य-व्यंग्य निबंध जैसे इंगलिश पढ़ें तो बाबू होय काफी लोकप्रिय थे। भारतेंदु जी ने विभिन्न विषयों पर निबंध रचे, जैसे कश्मीर कुसुम, कालचक्र, वैद्यनाथ धाम आदि। बालमुकुंद गुप्त ने शिवशंभू के चिट्टे में हास्य-व्यंग्य की बेहतरीन अभिव्यक्ति दी। प्रतापनारायण मिश्र ने भौं, दाँत, नमक जैसे विषयों पर निबंध लिखे।


इस युग के निबंधों की विशेषताएँ इस प्रकार थीं:

  • निबंधों के विषय विविध प्रकार के थे।

  • इन निबंधों में व्याकरण संबंधी कुछ दोष भी पाए जाते थे।

  • निबंधों की भाषा में देशज और स्थानीय शब्दों का प्रयोग हुआ है।

  • इस युग के लेखन में देशभक्ति और समाज सुधार की भावना थी।

  • इस युग में नवीन विचारों का स्वागत किया गया था।


2. आपको जिस व्यक्ति ने सर्वाधिक प्रभावित किया है, उसके व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताइए।

मुझे जिस व्यक्ति ने सर्वाधिक प्रभावित किया है, वह है-मैथिलीशरण गुप्त। उनके व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं :

उत्तर: मुझे जिस व्यक्ति ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, वे हैं मैथिलीशरण गुप्त। उनके व्यक्तित्व की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • गुप्त जी भारतीय संस्कृति के महान गायक थे।

  • उनके काव्य में सरलता थी, और उनका व्यक्तित्व भी उतना ही सरल था।

  • उन्होंने नारी पात्रों का गौरव स्थापित किया, जैसे उर्मिला और यशोधरा।

  • उनका व्यक्तित्व पूरी तरह भारतीय संस्कृति के अनुरूप था।

  • उन्हें 'राष्ट्रकवि' का सम्मान प्राप्त हुआ था।

  • उनकी भाषा बहुत ही सरल और सहज थी, जिसे सभी पाठक आसानी से समझ सकते थे।

  • उन्होंने काफी मात्रा में साहित्य रचा और समाज को एक नई दिशा दी।


3. यदि आपको किसी साहित्यकार से मिलने का अवसर मिले तो उनसे क्या-क्या पूछना चाहेंगे और क्यों ?

हम साहित्यकार से निम्नलिखित प्रश्न पूछना चाहेंगे:

उत्तर: यदि मुझे किसी साहित्यकार से मिलने का अवसर मिले तो मैं उनसे निम्नलिखित प्रश्न पूछना चाहूँगा:

  1. आपकी रचनाओं पर किस वाद का प्रभाव है? अर्थात आप किससे प्रभावित हैं?

  2. समाज परिवर्तन में साहित्यकार की भूमिका आप किस रूप में देखते हैं?

  3. क्या साहित्य समाज का दर्पण है या नहीं? अगर हाँ, तो फिर साहित्यकार का काम क्या होना चाहिए?

  4. क्या साहित्यकार को राजनीति में भाग लेना चाहिए या नहीं?

  5. साहित्यकार बनने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?


4. संस्पंरण साहित्य क्या है ? इसके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर: संस्मरण: संस्मरण साहित्य एक ऐसा लेखन होता है जो किसी दृश्य, घटना या व्यक्ति से जुड़ा हो सकता है। इसमें लेखक अपनी स्मृतियों के माध्यम से उन गुणों को उजागर करता है, जो जीवन जीने के लिए प्रेरणादायक होते हैं। संस्मरण में लेखक का व्यक्तिगत अनुभव और उसकी भावनाएँ भी शामिल होती हैं।


हिंदी में, द्विवेदी युग के दौरान 'सरस्वती' मासिक पत्रिका के माध्यम से संस्मरण प्रकाशित होने लगे। इन संस्मरणों में अधिकांश प्रवासी भारतीयों के अनुभव शामिल थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी, रामकुमार खेमका, जगतबिहारी सेठ, पांडुंग, प्यारेलाल, काशीप्रसाद जायसवाल, और जगन्नाथ खन्ना जैसे कई लेखक संस्मरण लेखन में उल्लेखनीय रहे हैं।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 10 Premghan Ki Chaya Smriti

  • The importance of the family environment in shaping one’s love for literature.

  • Influence of respected literary figures on personal growth and learning.

  • The relationship between personal life experiences and literary interests.

  • The joy of connecting with historical literary personalities and their legacies.

  • Cultural heritage plays an important role in developing one’s values and literary tastes.


Conclusion

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 10 Premghan Ki Chaya Smriti readers get a glimpse of the influences that shaped the author’s literary journey. From his father's love for traditional literature to the inspiring presence of writers like Premghan, the chapter tells us about the importance of cultural heritage, family, and community in cultivating a passion for learning and literature. It provides valuable insight into how these experiences helped the author appreciate the depth of Hindi literature, inspiring students to connect with their cultural roots.


Important Study Material Links for Hindi Antra Class 12 Chapter 10 Premghan Ki Chaya Smriti

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Important Study Material Links for Chapter 10 

1.

Class 12 Premghan Ki Chaya Smriti Questions

2.

Class 12 Premghan Ki Chaya Smriti Notes


Chapter-wise NCERT Solutions Class 12 Hindi - (Antra)

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FAQs on NCERT Solutions For Class 12 Hindi Antra (Poem) Chapter 10 Premghan Ki Chaya Smriti - 2025-26

1. Where can I find reliable NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 10, 'Premghan Ki Chaya Smriti'?

Vedantu offers comprehensive and expert-verified NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 10, 'Premghan Ki Chaya Smriti', for the 2025-26 academic session. These solutions are crafted to align with the latest CBSE guidelines, providing students with the correct methodology to answer all textbook questions effectively.

2. According to NCERT solutions, what were the key literary interests of the author's father described in 'Premghan Ki Chaya Smriti'?

The NCERT solutions for Chapter 10 detail that the author's father had several distinct literary interests. A correct answer should mention that:

  • He was a scholar of the Persian language.
  • He had a deep appreciation for old Hindi poetry.
  • He frequently enjoyed comparing Persian and Hindi poets in literary discussions.
  • He would artistically recite the Ramcharitmanas and Ramchandrika with great expression.

3. How should one describe the author's first encounter with Upadhyay Badri Narayan Chaudhary 'Premghan' to score full marks?

To provide a complete answer as per the NCERT solutions, you must describe the author visiting Premghan's house with his friends. The key details to include are seeing Premghan on the upper veranda, which was covered with vines, and his distinct appearance with long hair flowing over his shoulders. This visual left a powerful and lasting impression on the young author.

4. Why is it important to distinguish between Raja Harishchandra and the poet Bharatendu Harishchandra when answering questions from this chapter?

This distinction is crucial because it reveals the author's childhood innocence and his profound admiration for Hindi literature. The solutions imply that the author, as a child, could not separate the fictional character (Raja Harishchandra) from the real-life author (Bharatendu Harishchandra). This blurring of identity demonstrates the immense impact Bharatendu's work had, turning him into a mythical figure in the author's mind. A high-scoring answer must explain this as a sign of deep reverence.

5. What is the context behind the word 'Nissandeh' as explained in the NCERT Solutions for Chapter 10?

The NCERT solutions explain that 'Nissandeh' (निस्संदेह), meaning 'undoubtedly', was a word the author and his literary-minded friends frequently used. Their scholarly and somewhat unique way of speaking Hindi, marked by this word, was noticed by others in their locality. As a result, their entire group was humorously nicknamed the 'Nissandeh' group.

6. How do the NCERT Solutions for 'Premghan Ki Chaya Smriti' help students understand the literary atmosphere of that era?

The solutions guide students to see this chapter as more than just a memoir; it's a window into a specific cultural period. By solving the questions, students learn about:

  • The growing prominence of Khari Boli Hindi as a literary language.
  • The formation of influential literary circles and libraries, such as the one started by Pandit Kedarnath Pathak.
  • The celebrity-like status and deep respect commanded by poets like Bharatendu and Premghan.
  • The shift in cultural influence from Persian traditions to a burgeoning Hindi literary movement.

7. What key personality traits of Chaudhary Sahib (Premghan) are highlighted in the chapter's solutions?

The NCERT solutions focus on several key aspects of Chaudhary Sahib's personality. A comprehensive answer should describe his:

  • Unique and attractive persona (विलक्षण व्यक्तिव).
  • Enthusiasm for festivals and social gatherings.
  • A leisurely and distinct conversational style.
  • His standing as a famous poet and an influential figure in the community.
  • His captivating blend of love and curiosity (प्रेम और कुतूहल का अद्भुत मिश्रण).

8. What is the deeper significance of the phrase 'मैत्री का हृदय-परिचय' (Maitri ka Hriday-Parichay) as per the NCERT solutions?

This phrase signifies much more than a simple introduction; it refers to the beginning of a profound, heartfelt friendship. The NCERT solutions suggest interpreting this as the moment the author's bond with Pandit Kedarnath Ji Pathak was truly formed. Their friendship was built upon a shared passion for Hindi literature and mutual admiration for Bharatendu Ji, making it a deep connection of both heart and intellect.

9. How do Vedantu's NCERT solutions for this chapter prepare students for board exams?

Our NCERT solutions for 'Premghan Ki Chaya Smriti' are specifically designed for exam success. They offer step-by-step answers that align perfectly with the CBSE marking scheme for the 2025-26 exams. By explaining the underlying context, character nuances, and literary themes, the solutions ensure students don't just memorize answers but genuinely understand the chapter, preparing them to confidently tackle any question, including HOTS (Higher-Order Thinking Skills) questions.