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सूरदास के पद Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 CBSE Notes - 2025-26

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सूरदास के पद Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 CBSE Notes - 2025-26

In CBSE Class 10 Hindi Kshitij Notes Chapter 1, you’ll read about the deep devotion of the gopis for Krishna, as written by Surdas. This chapter uses simple poems to show how love and faith can be stronger than logic and arguments. If you ever find poems confusing, these notes will help you understand every line in easy language.

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Many board exam questions come from such poetry chapters, as they are part of the main Literature section that carries significant marks. To check how this chapter fits in your exam pattern, look at the CBSE Class 10 Hindi syllabus.


If you want quick revision, summary, or extra help, use these Vedantu notes for an easy way to score better. You can always find other chapters in our CBSE Class 10 Hindi Revision Notes.


Access Class 10 Hindi Chapter 1: Surdas Ke Pad (सूरदास के पद ) Notes

लेखक के बारे में

सूरदास हिंदी साहित्य के भक्ति युग के प्रमुख कवि माने जाते हैं। उनकी काव्य रचनाएँ, विशेषकर सूरसागर, सूरसारावली और साहित्यलहरी, कृष्ण भक्ति की अद्वितीय अभिव्यक्ति हैं। सूरदास को कृष्ण की बाल लीलाओं और गोपियों के प्रेम-विरह के चित्रण के लिए विशेष रूप से प्रसिद्धि प्राप्त है। उनकी काव्य शैली में भक्ति, प्रेम, और मानवीय भावनाओं का उत्कृष्ट समावेश देखने को मिलता है।

 कविता का संक्षिप्त विवरण


यह पद सूरदास के सूरसागर के भ्रमरगीत खंड से लिया गया है। इसमें गोपियों और उद्धव के बीच संवाद का वर्णन है। श्रीकृष्ण मथुरा में रहने के लिए गोकुल छोड़ देते हैं और उद्धव को योग संदेश देकर गोपियों के पास भेजते हैं। गोपियाँ इस संदेश को व्यंग्यपूर्वक ठुकराते हुए अपने प्रेम और विरह की व्यथा को प्रकट करती हैं। वे उद्धव से कहती हैं कि उनका प्रेम श्रीकृष्ण के प्रति अटूट और स्थायी है, जिसे किसी योग संदेश से कम नहीं किया जा सकता।


मुख्य विषय

  1. अटूट प्रेम: गोपियों का श्रीकृष्ण के प्रति अडिग प्रेम, जो किसी भी परिस्थिति में नहीं डगमगाता।

  2. विरह-व्यथा: श्रीकृष्ण के वियोग में गोपियों का दुख और उनकी वेदना।

  3. योग और भक्ति का अंतर: गोपियों का प्रेम भक्ति और समर्पण पर आधारित है, जिसे योग के संदेश से प्रभावित नहीं किया जा सकता।

  4. राजधर्म और न्याय: गोपियाँ श्रीकृष्ण को राजधर्म का पालन करने और अपनी प्रजा के साथ न्याय करने की याद दिलाती हैं।

  5. व्यंग्य और कटाक्ष: गोपियाँ उद्धव पर कटाक्ष करती हैं और योग साधना की अप्रासंगिकता को प्रकट करती हैं।


पात्र चित्रण

  1. गोपियाँ:

    • गोपियाँ श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित और निष्ठावान हैं।

    • उनका प्रेम गहरा और निश्छल है, जिसमें किसी भी प्रकार का स्वार्थ नहीं है।

    • वे श्रीकृष्ण के वियोग में व्यथित हैं और उद्धव के योग संदेश को व्यंग्यपूर्वक अस्वीकार करती हैं।


  1. उद्धव:

    • श्रीकृष्ण के मित्र और योग संदेशवाहक।

    • गोपियों के अनुसार, वे प्रेम और भक्ति की गहराई को समझने में असमर्थ हैं।


  1. श्रीकृष्ण:

    • गोपियों के प्रिय और गोकुल के नायक।

    • वे मथुरा में राजधर्म निभा रहे हैं लेकिन गोपियों के हृदय में हमेशा उपस्थित रहते हैं।


सार 

सूरदास के इस पद में गोपियों और उद्धव के संवाद के माध्यम से गोपियों की प्रेम-भावना और श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भक्ति का सजीव चित्रण है। गोपियाँ उद्धव की योग साधना की तुलना "कड़वी ककड़ी" से करती हैं और श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम को हारिल पक्षी की लकड़ी के समान दृढ़ मानती हैं। वे उद्धव को व्यंग्यपूर्वक भाग्यशाली मानती हैं कि वे श्रीकृष्ण के प्रेम की वेदना से अछूते हैं। गोपियाँ श्रीकृष्ण को राजनीति सीखने के लिए व्यंग्य करते हुए राजधर्म की याद दिलाती हैं।


Learnings From Class 10  Hindi Chapter 1 Surdas Ke Pad 

  • Unconditional love transcends material and philosophical boundaries.

  • Emotional connection is more profound than intellectual detachment.

  • True devotion remains steadfast, even in separation.

  • Justice and empathy are essential in leadership and governance.

  • Spiritual practices should align with emotional understanding.


Benefits of Vedantu Notes for Class 10 Hindi Chapter 1 Surdas Ke Pad 

  • Clear and concise summaries for quick understanding.

  • Detailed analysis of themes, characters, and poetic devices.

  • Exam-focused notes aligned with the CBSE syllabus.

  • Expert insights into Bhakti poetry’s historical and cultural context.

  • Free, downloadable PDFs for seamless revision.


Conclusion

Surdas’s poetry in this chapter beautifully captures the essence of human emotions and divine love. The Gopis’ dialogue with Uddhav reveals the depth of their devotion and their resistance to philosophical detachment. This poem reflects on the enduring power of faith and love. Vedantu’s chapter-specific revision notes simplify these intricate themes, helping students connect with Bhakti literature’s emotional and cultural significance. 


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FAQs on सूरदास के पद Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 CBSE Notes - 2025-26

1. कक्षा 10 के 'सूरदास के पद' अध्याय का त्वरित पुनरीक्षण (quick revision) करने के लिए इन नोट्स का उपयोग कैसे करें?

इन रिवीजन नोट्स को CBSE पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार किया गया है। त्वरित पुनरीक्षण के लिए, सबसे पहले प्रत्येक पद के सार (summary) को पढ़ें, फिर मुख्य पात्रों (गोपियाँ, उद्धव) के संवादों के महत्व को समझें। अंत में, काव्य-सौंदर्य और महत्वपूर्ण शब्दों के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करें। यह आपको परीक्षा से पहले पूरे अध्याय को तेजी से दोहराने में मदद करेगा।

2. सूरदास के पद के रिवीजन नोट्स में कौन-से मुख्य विषयों का सारांश दिया गया है?

इन रिवीजन नोट्स में कई महत्वपूर्ण विषयों का सारांश है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • गोपियों की विरह वेदना और कृष्ण के प्रति उनका अटूट प्रेम।
  • सगुण भक्ति का निर्गुण भक्ति और योग-साधना पर विजय।
  • उद्धव और गोपियों के बीच तर्कपूर्ण संवाद (वाक्चातुर्य)।
  • एक आदर्श राजा के राजधर्म का स्वरूप।

3. इन रिवीजन नोट्स में सूरदास के चारों पदों का सार किस प्रकार प्रस्तुत किया गया है?

इन नोट्स में, प्रत्येक पद का सार बिंदुवार और सरल भाषा में समझाया गया है। पहले पद में गोपियों द्वारा उद्धव पर किए गए व्यंग्य, दूसरे में उनके प्रेम की गहराई, तीसरे में योग-संदेश की निरर्थकता, और चौथे पद में राजधर्म की याद दिलाने जैसे मुख्य बिंदुओं को शामिल किया गया है, ताकि विद्यार्थी आसानी से केंद्रीय भाव समझ सकें।

4. 'सूरदास के पद' में प्रयुक्त प्रमुख अलंकारों और काव्य-सौंदर्य का संक्षिप्त विवरण क्या है?

ये नोट्स 'सूरदास के पद' के काव्य-सौंदर्य को समझने में मदद करते हैं। इन पदों में ब्रज भाषा का मधुर प्रयोग है। इसमें अनुप्रास, उपमा, रूपक, और वक्रोक्ति जैसे अलंकारों का सुंदर उपयोग हुआ है। 'गुर चाँटी ज्यौं पागी' में उपमा और 'करुई ककरी' में रूपक अलंकार का प्रयोग गोपियों की भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करता है।

5. गोपियों ने उद्धव को 'बड़भागी' कहकर वास्तव में उन पर क्या व्यंग्य किया है?

गोपियों का उद्धव को 'बड़भागी' (भाग्यशाली) कहना एक गहरा व्यंग्य (वक्रोक्ति) है। उनका वास्तविक अर्थ यह है कि उद्धव प्रेम के बंधन और उसकी अनुभूति से पूरी तरह अछूते हैं, इसलिए वे दुर्भाग्यशाली हैं। वे कृष्ण के पास रहकर भी उनके प्रेम-रस को समझ नहीं पाए, जो किसी दुर्भाग्य से कम नहीं है।

6. ये रिवीजन नोट्स भक्ति साहित्य की सगुण और निर्गुण धाराओं के बीच के अंतर को समझने में कैसे मदद करते हैं?

ये नोट्स स्पष्ट करते हैं कि गोपियाँ सगुण भक्ति का प्रतीक हैं, जो प्रेम, भावना और ईश्वर के साकार रूप में विश्वास करती हैं। वहीं, उद्धव निर्गुण भक्ति और योग का संदेश लेकर आते हैं, जो निराकार ईश्वर की उपासना पर जोर देता है। गोपियों के तर्कों के माध्यम से, सूरदास ने सगुण भक्ति की सहजता और भावनात्मक गहराई को निर्गुण ज्ञान पर श्रेष्ठ दिखाया है।

7. उद्धव द्वारा दिया गया योग का संदेश गोपियों की विरह-अग्नि को कैसे और बढ़ा देता है?

उद्धव का योग-संदेश गोपियों के लिए कृष्ण के प्रेम-संदेश की उम्मीद के विपरीत था। यह संदेश उनके लिए 'कड़वी ककड़ी' जैसा था, जिसने उनके शांत मन में जल रही विरह की आग में घी डालने का काम किया। प्रेम के स्थान पर ज्ञान की बातें सुनकर उनका दुःख और भी तीव्र हो गया, क्योंकि यह उनके कोमल भावों पर एक कठोर प्रहार था।

8. सूरदास के पदों में 'राजधर्म' का उल्लेख किस सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ की ओर संकेत करता है?

अंतिम पद में 'राजधर्म' का उल्लेख केवल एक भावनात्मक अपील नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणी भी है। गोपियाँ कृष्ण को याद दिलाती हैं कि एक अच्छे राजा का धर्म अपनी प्रजा को सताना नहीं, बल्कि उनके हितों की रक्षा करना है। यह उस समय के शासकों के लिए भी एक संदेश था कि सत्ता का उपयोग प्रजा के कल्याण के लिए होना चाहिए।

9. इन रिवीजन नोट्स से 'भ्रमरगीत' प्रसंग की मूल अवधारणा को कैसे समझा जा सकता है?

ये नोट्स 'भ्रमरगीत' की मूल अवधारणा को सरलता से समझाते हैं। 'भ्रमरगीत' एक ऐसा प्रसंग है जहाँ गोपियाँ सीधे उद्धव से बात न करके, एक भौंरे (भ्रमर) को माध्यम बनाकर अपनी बात कहती हैं। यह उनकी वाक्पटुता और सामाजिक मर्यादा का प्रतीक है। नोट्स इस तकनीक के उपयोग के पीछे के कारण और इसके प्रभाव को स्पष्ट करते हैं।

10. गोपियों का वाक्चातुर्य उनकी विरह-वेदना को कैसे अधिक प्रभावशाली बनाता है?

गोपियों का वाक्चातुर्य (बात करने की चतुराई) उनकी विरह-वेदना को साधारण विलाप से ऊपर उठाकर एक बौद्धिक और भावनात्मक संघर्ष का रूप देता है। वे केवल रोती नहीं हैं, बल्कि उद्धव के ज्ञान को अपने तर्कों से काट देती हैं। उनके ताने, व्यंग्य और उदाहरण उनकी पीड़ा को और भी गहरा और प्रभावशाली बना देते हैं, जिससे पाठक उनकी स्थिति से अधिक गहराई से जुड़ पाता है।